कुष्ठ रोग
11/2/2021 6:44:00 AM eHakimJi Team
लेप्रोशिस या कुष्ठ रोग एक जिंक संक्रमण है इसका असर व्यक्ति की त्वचा आँखो श्वसन तन्त्र एवम् परिधिय तन्त्रिकाओ पर पड़ता है ये माइक्रो वैक्टिरिया लेप्री नामक जीवाणु के कारण होता है हालाकिं ये बीमारी बहुत ही ज्यादा संक्रामक नही है लेकिन मरीज के साथ बहुत ही ज्यादा संपर्क में रहने से संक्रामण हो सकता है ।
घरेलू उपचार:-
नीम की पत्ती या नीम की जड़ चन्दन की तरह घिसकर पीते रहने से रक्त दोष ठीक हो जाता है ।
चिकित्सा:-
रक्तशोधक टैबलेट 2-2 गोली 3 बार, उद्यादित्य रस 2-2 गोली 3 बार, गँधक रसायन 2-2 गोली दिन में 2 बार, रस माणिक 250-250 उह सुबह शाम, महामजिष्ठादिरिष्ट 4-4 चम्मच खाना खाने के बाद ।
बाहरी प्रयोग:-
कुम्भी तेल को प्रभावित स्थान पर लगायें ।
अपथ्यः-
अम्ल व लवण रस युक्त, भोजन, बैंगन, अरुई, (घुइयाँ), उड़द, राजमा, छोले, अचार, तली चीजे, मैंदा एंव बेसन से बनें खाद्य पदार्थ, पिज्जा, बर्गर, पैटीज, पेस्ट्री, दूध, गुड, तिल, लहसुन, गरम मसाले, अधिक गर्म व सीलन युक्त वातावरण में निवास, साबुन, व शैम्पू का अत्यधिक प्रयोग, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का अधिक प्रयोग ।
पथ्यः-
गेहूँ, मूगँ की दाल (छिलके वाली), लौकी, तोरई, कच्चा पपीता, गाजर, टिण्डे, पत्तागोभी, करेला, परवल, पालक, हरी मेंथी, अंकुरित अन्न, सहिजन की कली, चना, हरी मिर्च व अदरक (अल्प मात्रा में ),गाय का दूध व घृत सर्वोत्तम हैं। गोदुग्ध उपलब्ध न होने पर ही भैंस के दूध का प्रयोग करें । फलो मे सेब, पपीता, चीकू, अनार, अमरुद, बग्गूगोसा, जामुन, मौसमी आदि का प्रयोग सामान्य किया जा सकता हैं। सूखे मेवों मे काजू, बादाम, मुनक्का, किशमिश, अंजीर, चिलगोला, छुहारे, खजूर, आदि का प्रयोग करें।