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8/19/2021 5:37:00 AM eHakimJi Team
जलोदर
उदर गुहा मे द्रव संचय होकर उदर का बड़ा दिखना जलोदर ( ऐसाईटिस) कहलाता है ये अशोतयुक्त ( नाॅनइन्फ्रामेट्री ) ये रोग नही बल्कि हृदय वृक्क या यकृत इत्यादि में उत्पन्न हुये विकारो का प्रधान लक्षण है । यकृत की प्रतिहाणनी ( पोटल ) रक्त संचरण की बाध हमेशा तथा अविष्ज्ञेक रुप से दिखाई देने वाला जलोदर का सर्वसाधारण कारण है।
घरेलूचिकित्सा
(1) करील की जड़ का 1 ग्राम चूर्ण खिलाने से असाध्य जलोदर चला जाता है । एक सप्ताह का ही प्रयोग हैं। (2) जवाखार, त्रिकुटा (सोंठ, काली मिर्च व पीपल ) सेंधाँ नमक तीनों वस्तुएँ समभाग लेकर कूट पीसकर चूर्ण बना लें । प्रतिदिन दवा 6 ग्राम गोमूत्र के साथ दें। जलोदर शान्त हो जाता है ।
चिकित्सा
जलोदर रस 2-2 गोली दिन मे 3 बार, यकृतप्लाहारि लौह 1-1 गोली सुबह शाम, पुर्नावारिष्ठ 2-2 गोली दिन मे 3 बार, पुर्नावारिष्ठ 4-4 चम्मच खाना खाने के बाद जल के साथ, यवक्षार 250-250 g सुबह शाम मूली के पत्तो के रस के साथ ।
अपथ्य
अम्ल व लवण रस युक्त, भोजन, बैंगन, अरुई, (घुइयाँ), उड़द, राजमा, छोले, अचार, तली चीजें, मैंदा एंव बेसन से बनें खाद्य पदार्थ, पिज्जा, बर्गर, पैटीज, पेस्ट्री, दूध, गुड, तिल, लहसुन, गरम मसाले, अधिक गर्म व सीलन युक्त वातावरण में निवास, साबुन, व शैम्पू का अत्यधिक प्रयोग, सौंदर्य प्रसाधन सामग्री का अधिक प्रयोग ।
पथ्य
गेहूँ, मूँग की दाल (छिलके वाली), लौकी, तोरई, कच्चा पपीता, गाजर, टिण्डे, पत्तागोभी, करेला, परवल, पालक, हरी मेंथी, अंकुरित अन्न, सहिजन की फली, चना, हरी मिर्च व अदरक (अल्प मात्रा में ), गाय का दूध व घृत सर्वोत्तम हैं। गोदुग्ध उपलब्ध न होने पर ही भैंस के दूध का प्रयोग करें । फलो मे सेब, पपीता, चीकू, अनार, अमरुद, बग्गूगोसा, जामुन, मौसमी आदि का प्रयोग सामान्य किया जा सकता हैं। सूखे मेवों मे काजू, बादाम, मुनक्का, किशमिश, अंजीर, चिलगोजा, छुहारे, खजूर, आदि का प्रयोग करें।